#ek_roz..

एक रोज़ सोचा था।
ज़िन्दगी में सब हसीन होता,,
तो क्या होता।।

घबरा गई आंखे,,
इतना सा सुन कर ही।
डर था उसे इस बात का,,
के उसके भीतर का ज्वार ,,
घूट ना जाए कहीं,,
होठ के मुस्कुराहटों के बीच।।

पथरा जाएंगे शायद,,
जैसे बांझ हो जाती है।
बिन बारिश धरा की कोख़।।

फ़िर कैसे निकलेंगी वो,,
हरी चादर ओढ़े सरसो के खेत सी,,,
सुनहरी पीली मुस्कान।।

वजूद खो बैठेगी खुशी।।

आखिर उजाले की कीमत भी,,
अंधेरे के बाद ही तो होती है।।।

गीली आंखों में ही,,
मुस्कुरा कर मैने ख़ुद से ही कहा।।

इस रात की सुबह,,
शायद बेहद हसीन होगी।।
क्यूं की मैने आज,,
अंधेरे और उजाले के बीच के,,
उस खूबसूरत रिश्ते को महसूस किया।।

भोर की लालिमा को देखने की,,,
आज बहुत जल्दी थी मुझे।।।।

Shayra❤️

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